नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली और आसपास में बढ़ते प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जाहिर करते हुए साफ कहा कि ऑड-ईवन स्कीम प्रदूषण से निपटने का स्थाई समाधान नहीं हो सकता है।
शीर्ष अदालत ने साथ ही केंद्र सरकार से प्रदूषण से निपटने के लिए एयर फ्यूरीफायर लगाने का रोडमैप मांगा है। प्रदूषण पर काफी तल्ख नजर आ रहे शीर्ष अदालत ने दिल्ली सरकार से पूछा कि क्या ऑड-ईवन से दिल्ली को प्रदूषण से कोई राहत मिली है? शीर्ष अदालत ने साथ ही यूपी, हरियाणा, पंजाब और दिल्ली के मुख्य सचिवों को समन भेजा है।
प्रदूषण पर सख्त नजर आ रहे SC ने दिल्ली सरकार से पूछे कई सवाल
दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि ऑड-ईवन के कारण दिल्ली में प्रदूषण के स्तर में 5-15 प्रतिशत की कमी आई है। सरकार ने कहा कि अगर इस स्कीम में किसी को कोई छूट न दी जाए तो और बेहतर परिणाम हो सकते हैं। दिल्ली सरकार ने दोहराया कि राजधानी में प्रदूषण का मुख्य कारण पराली जलाना है। पिछले साल ऑड-ईवन के असर पर कोई अध्ययन नहीं किया गया था।
‘आखिर लोग सांस कैसे लें?’
शीर्ष अदालत ने सख्त लहजे में दिल्ली सरकार से पूछा कि लोग आखिर सांस कैसे लें? कोर्ट ने कहा कि प्रदूषण का बहुत ही बुरा असर पड़ा है। एयर क्वॉलिटी इंडेक्स (AQI) आज भी 600 के करीब है।
प्रकृति से खिलवाड़ ठीक नहीं-SC
शीर्ष अदालत ने टिप्पणी करते हुए कहा कि हम प्रदूषण पर नियंत्रण पाने की कोशिश कर सकते हैं लेकिन प्रकृति हमारे हाथ में नहीं है। यही होता है जब आप प्रकृति के साथ खिलवाड़ करते हो। अगर ऑड-ईवन स्कीम में कोई छूट नहीं दी जाती यह भी काम कर सकती थी। कोर्ट ने कहा कि हमें प्रदूषण से निपटने के लिए तकनीक का इस्तेमाल करना होगा। चीन और जापान के प्रॉजेक्ट का भी अध्ययन करना होगा।
‘कारों से महज 3 प्रतिशत पलूशन’
दिल्ली सरकार की तरफ से अदालत में पेश वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि अगर ऑड-ईवन स्कीम के तहत कुछ निश्चित छूट को समाप्त कर दी जाए, जैसे टू व्हीलर को दी जाने वाली छूट को खत्म कर दिया जाए तो इससे और मदद मिलेगी। सेंट्रल पलूशन कंट्रोल बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि कारों के कारण 3 फीसदी पलूशन का स्तर बढ़ता है और सभी वाहन मिलकर राजधानी में 28 फीसदी प्रदूषण पैदा करते हैं।
ऑड-ईवन स्कीम प्रदूषण का स्थायी समाधान नहीं: SC
दिल्ली सरकार के बयान पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऑड-ईवन स्कीम इसका स्थायी समाधान नहीं हो सकता है, खासतौर पर तब जब केंद्रीय प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड ने बताया है कि कारों के कारण केवल 3 फीसदी प्रदूषण फैल रहा है। कूड़ा डंपिंग, निर्माण के निकले कूड़े, सड़कों की धूल जैसे अन्य कारणों से भी प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा है।
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