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भारत में 5G तकनीक के ट्रायल से चीनी कंपनियों को दूर रखने पर चीन परेशान


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बीजिंग। भारत में 5जी तकनीक के ट्रायल में चीनी दूरसंचार कंपनियों को न शामिल करने के फ़ैसले को चीन ने चिंतित करने वाला और खेदजनक बताया है. भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने लंदन में ग्लोबल डायलॉग सिरीज़ इवेंट में बुधवार को भारत का नज़रिया पेश करते हुए कहा कि सीमा पर तनाव होने पर अन्य क्षेत्रों में अच्छे संबंध ‘वास्तविक नहीं’ हो सकते हैं.

हालांकि जयशंकर ने 5जी मुद्दे का ख़ासतौर से ज़िक्र नहीं किया लेकिन कहा कि संबंधों पर भारत का नज़रिया बेहद विस्तृत है.
उन्होंने कहा, “एक ओर सीमा पर ख़ून-ख़राबा, टकराव, ज़बर्दस्ती, धमकी हो और फिर कहिए कि दूसरे क्षेत्रों में अच्छे रिश्ते बनाते हैं. यह वास्तविक नहीं है.” दूरसंचार विभाग ने मंगलवार को टेलिकॉम सर्विस प्रोइवाडर्स (टीएसपी) कंपनियों को 5जी तकनीक के ट्रायल की अनुमति दे दी थी.

इसके साथ ही ख़्वावे और ज़ेडटीई जैसी चीनी कंपनियां भारत में 5जी की रेस से बाहर हो गई थीं. टेलिकॉम मंत्रालय के बयान के अनुसार “भारती एयरटेल लिमिटेड, रिलायंस जियो इन्फ़ोकॉम लिमिटेड, वोडाफ़ोन आइडिया लिमिटेड और एमटीएनएल टीएसपी आवेदनकर्ता हैं. इन टीएसपी कंपनियों ने मूल उपकरण निर्माताओं और टेक्नोलॉजी प्रोवाइडर्स एरिक्सन, नोकिया, सैमसंग और सी-डॉट से क़रार किया है.”

चीन ने क्या कहा
नई दिल्ली में चीनी दूतावास ने इस पर बयान जारी किया था, “चिंता और खेद व्यक्त करते हैं कि भारत में भारतीय टेलिकॉम सर्विस प्रोवाइडर्स के साथ 5जी ट्रायल में चीनी दूरसंचार कंपनियों को शामिल होने की अनुमति नहीं दी गई.”

प्रवक्ता वांग शाचियन ने कहा, “उपयुक्त चीनी कंपनियां सालों से भारत में काम कर रही हैं, बड़ी संख्या में रोज़गार दे रही हैं और भारत के दूरसंचार के बुनियादी ढांचा निर्माण में योगदान दे रही हैं.” उन्होंने कहा कि ‘ट्रायल से चीनी दूरसंचार कंपनियों को अलग हटाना उनके वैध अधिकारों और अभिरुचियों को नुक़सान पहुंचाएगा.’

(LEGEND NEWS)
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