भारत के पूर्व क्रिकेटर युवराज सिंह को हिसार पुलिस ने जातिगत टिप्पणी के एक मामले में गिरफ़्तार किया और अंतरिम ज़मानत पर छोड़ दिया. उनकी गिरफ़्तारी की ख़बर रविवार देर रात सामने आई. युवराज सिंह पर एक इंस्टाग्राम लाइव में जातिगत टिप्पणी करने का आरोप है.
हांसी के रहने वाले रजत कलसन नाम के एक शख़्स ने कई धाराओं के तहत युवराज सिंह के ख़िलाफ़ पुलिस में एफ़आईआर दर्ज कराई थी. हांसी की एसपी निकिता गहलोत ने बताया कि युवराज सिंह अदालत के निर्देश के मुताबिक़ जाँच में शामिल हुए. बाद में उन्हें अंतरिम ज़मानत पर छोड़ दिया गया.
निकिता गहलोत ने बताया कि पुलिस ने युवराज सिंह का फ़ोन ज़ब्त कर लिया है. कलसन ने युवराज सिंह पर आरोप लगाया था कि उन्होंने इंस्टाग्राम लाइव के दौरान एक अन्य खिलाड़ी पर जातिगत टिप्पणी की थी.
सोशल मीडिया पर चर्चा
युवराज सिंह की गिरफ़्तारी के बाद ये मामला सोशल मीडिया पर भी ट्रेंड करने लगा. #yuvrajsingh #yuvrajsingharrest जैसे हैशटैग चलने लगे और लोगों के बीच चर्चा छिड़ गई.
कुछ लोगों ने युवराज सिंह की टिप्पणी को जातिगत बताते हुए गिरफ़्तारी को सही ठहराया तो कुछ लोगों ने इसे आनेजाने में की गई टिप्पणी बताया जिसके लिए युवराज ने माफ़ी मांग ली है.
यूजर ‘अल्बर्ट जे खरे’ ने ट्वीट किया, “अगर उनकी टिप्पणी से लोगों को दुख पहुंचा है तो उन्होंने पहले ही माफ़ी मांग ली है. हम भले के लिए कुछ ज़्यादा जागरुक हो रहे हैं. वास्तविक मुद्दों को हम अनदेखा कर रहे हैं.”
एक यूज़र ने लिखा, “इस दलित मनमानी पर तुरंत रोक लगानी चाहिए. दलित अब आपराधिक माफ़िया में तब्दील हो गए हैं जो अपनी निम्न जाति के नाम पर पीड़ित बनकर दूसरों को ब्लैकमेल करके पैसे ऐंठ रहे हैं.”
लेकन, एक अन्य यूज़र ‘श्रेप किंग’ ने इसका विरोध किया. उन्होंने लिखा, “ये माफ़ी की बात नहीं है. ये भी एक असल मुद्दा है जिसे हम नज़रअंदाज़ करते आ रहे हैं. सामान्य तौर पर किया जाने वाला नस्लवाद/ जातिवाद/ लैंगिक भेदभाव मज़ाकिया नहीं है और लोगों को इसे समझने की ज़रूरत है. एक अपराध आखिरकार एक अपराध है और इसके लिए प्रक्रियाओं का पालन करना चाहिए.”
यूज़र ‘यॉर्स रैंडमली’ ने लिखा, “जातिवाद के ख़िलाफ़ ज़ीरो टॉलरेंस की नीति समय की ज़रूरत है. इसे संभव बनाने के लिए हरियाणा पुलिस और शिकायत करने वाले कास्ट एक्टिविस्ट की सराहना.”
यूज़र सारंग एसएस लिखते हैं, “क्या युजवेंद्र चहल ने इसके ख़िलाफ़ शिकायत की. नहीं! लेकिन, कुछ लोगों ने सस्ती लोकप्रियता के लिए इसे विवादित बना दिया. दोस्त ग़लत भाषा का इस्तेमाल करते हैं, गाली देने के लिए नहीं बल्कि रिश्ते में प्यार और अधिकार जताने के लिए.”
कुछ लोग युवराज सिंह को मिली ज़मानत पर भी सवाल उठा रहे हैं.
यूज़र नुरायाणा लिखते हैं, “साथ खेलने वाले क्रिकेटर पर जातिवादी टिप्पणी और ज़मानत भी मिल गई? क्या प्रतीकात्मक कारणों से गिरफ़्तार किया गया था कि रिमांड तय करने के लिए अदालत के सामने पेश किए बिना तुरंत रिहा किया गया?”
युवराज सिंह ने ज़ाहिर किया था खेद
युवराज सिंह ने इस मामले में चंडीगढ़ हाईकोर्ट का रुख़ किया है और अपने ख़िलाफ़ दर्ज हुई एफ़आईआर रद्द करने की अपील की है.
युवराज सिंह ने ख़ुद को निर्दोष बताया है और कहा है कि दोस्तों के साथ उनकी बातचीत को ग़लत तरीके से समझा गया.
पिछले साल इंस्टाग्राम लाइव पर विवाद होने के बाद युवराज सिंह ने इसके लिए खेद भी जताया था.
उन्होंने कहा था, “मैं एक बात साफ़ कर देना चाहता हूँ कि मैं किसी तरह के भेदभाव में यक़ीन नहीं रखता. फिर चाहे वो जाति, रंग, लिंग या धर्म के आधार पर हो.”
युवराज सिंह ने कहा था, “मैंने अपनी ज़िंदगी लोगों की भलाई में लगाई है और आगे भी ऐसा ही करता रहूँगा. हालाँकि ज़िम्मेदार नागरिक होने के नागरिक अगर मैंने किसी की भावनाओं को ठेस पहुँचाई है तो उसके लिए मैं खेद प्रकट करता हूँ.”
भाभी ने लगाया मारपीट का आरोप
साल 2017 में युवराज सिंह की भाभी अकांक्षा शर्मा ने अपने पति ज़ोरावर, युवराज सिंह और सास शबनम सिंह पर घरेलू हिंसा का आरोप लगाया था.
युवराज सिंह पर आरोप था कि उन्होंने अपनी भाभी पर मां शबनम सिंह की बातें मानने और बच्चा पैदा करने के लिए दबाव डाला था.
हालांकि, युवराज सिंह और उनके परिवार ने इन सबी आरोपों को ख़ारिज कर दिया था और कहा था कि अकांक्षा ने निजी दुर्भावना से और फ़ायदा उठाने के लिए ये आरोप लगाए हैं.
बाद में मामला कोर्ट के बाहर सुलझने की ख़बरें आई थीं और जोरावर व अकांक्षा ने तलाक़ ले लिया था.
महेंद्र सिंह धोनी की आलोचना पर माफ़ी
युवराज सिंह के पिता योगराज सिंह कई बार भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी पर पक्षपात करने और उनके बेटे का करियर ख़राब करने का आरोप लगा चुके है.
साल 2015 में युवराज सिंह जब विश्व कप के लिए भारतीय टीम में जगह नहीं बना पाए तो योगराज सिंह ने इसके लिए एमएस धोनी की आलोचना की थी.
वो धोनी पर युवराज सिंह का करियर ख़राब करने का आरोप लगाते हैं. पिछले साल एक इंटरव्यू में उन्होंने धोनी को लेकर कहा था कि उन्होंने सिवाए भारत के लिए खेलने के दूसरे खिलाड़ियों के लिए किया क्या है.
साल 2015 की योगराज सिंह की टिप्पणी के बाद युवराज सिंह को ट्विटर पर सफ़ाई देनी पड़ी थी.
उन्होंने लिखा था, “सभी माता-पिता की तरह मेरे पिता भी भावुक हैं और मुझे माही के नेतृत्व में खेलने में हमेशा मज़ा आया और भविष्य में भी ऐसा करूंगा.”
पर्ल ग्रुप घोटाला
साल 2016 में 45 हज़ार करोड़ रुपये के पर्ल ग्रुप घोटाले में भी युवराज सिंह का नाम सामने आया था. उन्हें और पूर्व क्रिकेटर हरभजन सिंह को कंपनी की तरफ़ से ज़मीन उपहार में मिलने के आरोप लगे थे.
हालांकि, युवराज सिंह ने ट्विटर पर इसे लेकर स्पष्टीकरण दिया था. उन्होंने लिखा, “मेरे और हरभजन के बारे में मीडिया के एक ख़ास वर्ग की निराधार और गैर-जिम्मेदाराना रिपोर्ट के बारे में स्पष्ट करने के लिए. पर्ल ग्रुप ने हमें 2011 में विश्व कप विजेता टीम के हिस्से के रूप में एक प्लॉट उपहार में देने की सूचना दी थी. हालांकि, हमें वह प्लॉट नहीं मिला है. हमारी कोई अन्य भागीदारी नहीं है.”